Bali phlwan

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सत गुरु की महिमा



गुरु रवि दास जी की जयंती पर एक विशेष कविता

*सतगुरु की महिमा*

काल ने भक्ति करी 
दयाल की कई साल रे,
दयाल ने भक्ति के बदले
काल किन्हा निहाल रे।

काल ने मांगा सुरत को 
मुझे संभाल रे,
भक्ति के बस मजबूर 
हो गये दयाल रे।

अपनी प्यारी सुरत को
अपने से जुदा करते,
आंखों में आंसू भर कर
और आंहे भरते।

काल ने सुरत पकड़ कर
अपने बस में कर लिया,
दयाल ने रोते बिलखते
दुःख सहन कर लिया।

काल ने सुरत को
दयाल के सन्मुख ही,
तन मन के पिंजरे में
एक ही पल भर दिया।

सुरत को दुःखी देख कर
दयाल आगे पीछे होने लगे,
आप भी तन मन का पिंजरा
धार कर रमणे लगे।

रमते रमते सुरत को देखा
दुःखी इस जग में,
लहू लगा चक्कर काटने
दयाल की रग रग में।

इस जग में दयाल
मल्लाह बन कर आ लिया,
अपना असली रूप 
प्यारी सुरत को बता लिया।

सुरत को नाम का भेद 
दे कर समझा लिया,
वक्त आने पर उसे नाम के
जहाज़ में बिठा लिया।

देख लो संसारियो 
यह सुरत का हाल है,
सतगुरु पिता मिला जिसको
वह तो मालोमाल है।

कर लो जतन लाख चाहे
सतगुरु बिना सुख नहीं,
कह रहे हैं गुरु रविदास जी
हमारे यहां कोई दुःख नहीं।

*बाली पहलवान*  *8368323740*

प्रतियोगिता हेतु 

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4 Comments

Seema Priyadarshini sahay

17-Feb-2022 05:50 PM

बहुत खूबसूरत

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Ekta shrivastava

17-Feb-2022 10:52 AM

Very nice

Reply

Punam verma

17-Feb-2022 09:18 AM

Nice

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